Apara Ekadashi 2023: मई में कब है अपरा एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
- By Sheena --
- Monday, 08 May, 2023
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Apara Ekadashi 2023: हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यंत महत्व है। पंचांग के अनुसार, साला में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। वहीं, अधिकमास के कारण कभी-कभी 26 एकादशियों का भी योग बनता है। इन्हीं एकादशियों में से एक है अपरा एकादशी। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसे में ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं अपरा एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में विस्तार से।
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अपरा एकादशी 2023 महत्व
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ त्रिविक्रम की पूजा का महत्व है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के 8 छल) की पूजा से व्यक्ति के दोषों का अंत होता है और सद्गुण जन्म लेते हैं। इस दिन की गई पूजा मृत्यु के बाद आत्मा पिशाच योनी में नहीं जाती है। उसे वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है।
अपरा एकादशी तिथि
ज्योतिषियों की मानें तो एकादशी तिथि 15 मई को देर रात 2 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 16 मई को देर रात 1 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। 15 मई को अपरा एकादशी मनाई जाएगी। साधक 15 मई को व्रत उपवास रख भगवान विष्णु की पूजा अर्चना कर सकते हैं।
अपरा एकादशी 2023 व्रत पारण समय
अपरा एकादशी को अचला एकादशी और भद्रकाली एकादशी भी नाम से भी जाना जाता है। इस साल अपरा एकादशी का व्रत पारण 16 मई 2023 को सुबह 06 बजकर 41 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर तक किया जाएगा।
अपरा एकादशी 2023 पूजा विधि
1. सूर्यास्त से पूर्व उठकर स्नान करें। नए वस्त्र धारण करें।
2. स्नान के पश्चात भगवान विष्णु का ध्यान करें।
3. भगवान विष्णु को स्नान कराएं और उन्हें नई पोशाक पहनाएं।
4. भगवान विष्णु को चंदन लगाएं। पुष्प एवं अक्षत अर्पित करें।
5. भगवान विष्णु को माला पहनाएं और पीले वस्त्र अर्पित करें।
6. भगवान विष्णु को धूप-दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
7. भगवान विष्णु को भोग लगाएं।
8. भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
9. भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।
10. भगवान विष्णु के विष्णु अष्टोत्रम, और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करें।
11. भगवान विष्णु की आरती उतारें और प्रसाद वितरण करें।
12. द्वादशी के दिन व्रत पारण करते हुए जरोर्रत्मंदों को दान दें।